दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाई कोर्ट के जस्टिस वी कामेश्वर राव से कहा कि ‘छूट की आड़ में बहुत सारे कदाचार चल रहे थे.

भिलाई / [न्यूज़ टी 20] दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाई कोर्ट के जस्टिस वी कामेश्वर राव से कहा कि ‘छूट की आड़ में बहुत सारे कदाचार चल रहे थे. में दिल्ली सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा है कि शराब की कीमतों में भारी छूट देकर कारोबारियों को राजधानी में नशे को बढ़ावा देने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.

इस दौरान सरकार ने शराब की खुदरा बिक्री पर कारोबारियों की ओर से दी जा रही छूट पर रोक लगाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए हाई कोर्ट में यह दलील दी है. साथ ही उन्होंने कहा कि क्योंकि यह शहर में शराब को बढ़ावा दे रही थी और बाजार में एकाधिकार पैदा कर रही थी.

वहीं, ”दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने हाई कोर्ट के जस्टिस वी कामेश्वर राव को बताया कि छूट पर रोक इसलिए लगाई गई है कि क्योंकि इसके जरिए तय सीमा से अधिक नशे को बढ़ावा मिल रहा था और बाजार में एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा था.

उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि शराब की खुदरा बिक्री पर छूट देने पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के 28 फरवरी के फैसले पर रोक नहीं लगाई जाए. उन्होंने कहा कि छूट के जरिए छिटपुट तरीके और बड़ी जेब वाले लोगों (लाइसेंस धारकों) द्वारा एकाधिकार स्थापित किया जा रहा था.

सरकार ने कहा कि शराब पर भारी छूट के जरिए दिल्ली नशे को बढ़ावा देने वाला शहर नहीं हो सकता. इसके साथ ही सिंघवी ने कोर्ट से इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की.

मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी

बता दें कि दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने भी न्यायालय को बताया कि शराब अधिकतम खुदरा मूल्य से नीचे नहीं बेची जा सकती. इसके बाद कोर्ट ने शराब की खुदरा बिक्री पर छूट देने पर रोक लगाने के खिलाफ शराब कारोबारियों की याचिकाओं पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.हालांकि अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 मार्च को होगी.

शराब कारोबारियों ने कोर्ट से 28 फरवरी के फैसले पर रोक लगाने कि मांग की

गौरतलब है कि शराब कारोबारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर सरकार के 28 फरवरी के उस फैसले को रद्द करने की मांग की है जिसके तहत राजधानी में शराब की बिक्री पर छूट देने पर रोक लगा दी गई थी. इस दौरान कारोबारियों ने कहा कि सरकार के इस फैसले से उनके कारोबार पर काफी नुकसान हुआ है.

इसके बाद कोर्ट ने मामले में फिलहाल किसी तरह का अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और साजन पूवैया ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार का आदेश संबंधित प्राधिकरण द्वारा बिना किसी अधिकार क्षेत्र के पारित किया गया. उन्होंने इसे मनमाना बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की.

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