भिलाई [न्यूज़ टी 20] बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि यदि हिंदू विधवा महिला स्वयं के भरण-पोषण के लिए पूरी तरह से अक्षम है तो वह अपने ससुर से भरण-पोषण की मांग कर सकती है।अब तक ऐसा होता आ रहा था कि यदि विवाह संबंध विच्छेद होता था।
तो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत परित्यकता अपने पति से जीवन-यापन का खर्चा ले सकती है। लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं था कि यदि पति की असमय मृत्यु हो जाए तो ऐसी स्थिति में उसे यदि ससुराल से भी निकाल दिया जाए तो उसकी जिम्मेदारी और भरण पोषण की जवाबदेही किस पर होगी।
ऐसा ही एक मामला बिलासपुर हाईकोर्ट में आया। यहां कोरबा निवासी एक युवती का विवाह वर्ष 2008 में जांजगीर-चांपा जिला निवासी युवक से हुआ था। विवाह के बाद वर्ष 2012 में युवक की असमय मृत्यु हो जाने तथा ससुराल से भी निकाल दिए जाने के बाद विधवा ने कुटुंब न्यायालय जांजगीर-चांपा में याचिका दायर की थी।
इस याचिका के विरूद्ध उसके ससुर ने भी याचिका लगाई। इसके बाद विधवा बहू ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। हाईकोर्ट ने पूरे प्रकरण की सुनवाई करने के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि यदि विधवा महिला भरण-पोषण में असमर्थ है तो वह अपने ससुर पर दावा कर सकती है।