भिलाई। निजी स्कूलों की मनमानी कम नहीं हो रही है। फीस को लेकर चल रही मनमानी के बीच अब निजी स्कूल के संचालकों ने बस भाड़े में काफी बढ़ोत्तरी कर दी है। स्कूलों का प्रबंधन दो से ढाई हजार रुपए किराया छात्रों से वसूल रहा है।
दुर्ग जिले में संचालित अधिकांश निजी स्कूल प्रबंधन शिक्षा के माध्यम को कमाई का जरिया बना लिया है। पहले तो निजी स्कूल में फीस को मनमानी करते हुए 15 से 20 फीसदी तक बढ़ा दिया है। अब बच्चों को घर से स्कूल तक आवाजाही की सुविधा के लिए बसों का किराया स्कूल फीस से लगभग तीन से चार गुना अधिक वसूल किया जा रहा है। इसके लिए दूरी भी तय नहीं की गई। स्कूल से लगभग 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले बच्चों के अभिभावकों से प्रतिमाह दो हजार रुपए लिए जा रहे हैं और दो किलोमीटर की दूरी पर रहने वाले अभिभावकों से भी। बताया जा रहा है कि अधिकांश बड़े स्कूल शहर से आउटर पर हैं। अभिभावकों के द्वारा बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए इन बड़े स्कूलों में दाखिला कराया गया है। इसका फायदा स्कूल प्रबंधन उठा रहे हैं। इसे लेकर अभिभावकों में नाराजगी है, लेकिन मजबूरी में स्कूल बसों का महंगा किराया दे रहे हैं।
बताया जा रहा है कि बसों के किराए को लेकर प्रबंधन से बात करने पर सुविधा बंद करने का हवाला दे दिया जाता है। बावजूद इसके जिला परिवहन विभाग इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा है। जिले के कई दो से तीन बड़े स्कूल ऐसे हैं, जो आपस में आधा से एक किमी की दूरी पर स्थित हैं। बावजूद इसके स्कूली बसों के किराए मे काफी अंतर हैं। परिवहन कार्यालय के आसपास संचालित विद्यालयों में अधिक किराया वसूला जा रहा है। अधिकांश निजी स्कूली बसें बच्चों की सुरक्षा के मापदंड के विपरित सड़क पर सरपट दौड़ रहीं हैं और विभाग द्वारा कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर छोड़ दिया जाता है। नियमानुसार स्कूली बसों के सभी खिड़कियों में जाली, बस का कलर, बस में स्कूल बस लिखना अनिवार्य, सीसीटीवी कैमरा, फायर सेफ्टी गैस सिलेंडर इसके अलावा कई तरह के मापदंड तय हैं। निजी स्कूल प्रबंधनों के द्वारा अधिकांश अभिभावकों से 10 किलोमीटर के दायरे या फिर अपने अनुसार निर्धारित दूरी तय कर बच्चों के अभिभावकों से किराए वसूल किया जाता है। चाहे वे दो किलोमीटर की दूरी पर हो या फिर 10 किलोमीटर की दूरी पर। यही हाल ऑटो और अन्य वाहनों का है। जहां अधिक किराया लिया जा रहा है। किसी भी तरह से निर्धारित किये बगैर किराया वसूला जा रहा है।