भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली. सोना अब उतना ‘सोना’ नहीं रहा. लोगों का इससे मोहभंग हो रहा है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में कमजोर आर्थिक वृद्धि के कारण सोने के गहनों की मांग घट सकती है. दूसरी तरफ मीडिया रिपोर्ट्स के हिसाब से लोग गोल्ड ईटीएफ में भी कम निवेश कर रहे हैं.
डब्ल्यूजीसी ने अपनी तिमाही रिपोर्ट में लिखा है कि चीन की सख्त कोविड ज़ीरो नीति (Covid Zero Policy) और संघर्षरत रियल एस्टेट क्षेत्र के कॉम्बिनेशन से वहां मांग में काफी धीमी गति से सुधार होगा, न कि एकाएक. भारत, जो गोल्ड का एक अन्य बड़ा उपभोक्ता है, को भी गिरते रुपये और उच्च आयात शुल्क के कारण कम खरीदारी देखने को मिल सकती है.
2021 के बाद चीन में गिरी मांग
चीन में लॉकडाउन और डॉलर के मजबूत होने से आभूषणों की मांग 2021 के बाद कमजोर हुई है, जिससे स्थानीय मुद्राओं में सोना अधिक महंगा हो गया है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रिकॉर्ड स्तर के करीब बढ़ने के बाद से हाजिर बाजार में कीमतों में गिरावट आई है.
काउंसिल के एक वरिष्ठ विश्लेषक लुईस स्ट्रीट ने एक बयान में कहा, “चूंकि कई देशों को आर्थिक कमजोरी का सामना करना पड़ता है और जीवन की लागत (Cost of Living) का संकट खर्च को कम करना जारी रखता है. उपभोक्ता संचालित मांग में नरमी की संभावना है, हालांकि जेब में पावर होनी चाहिए.”
डब्ल्यूजीसी (WGC) के अनुसार, सोने के निवेशकों की खरीदारी शेष समय के दौरान मोटे तौर पर सपाट होनी चाहिए, क्योंकि केंद्रीय बैंकों द्वारा सख्त मौद्रिक नीति गैर-ब्याज वाले एसेट्स के प्रति रुझान कम कर देती है. कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि के कारण बार और सिक्का की मांग स्वस्थ रहने की संभावना है.