भिलाई [न्यूज़ टी 20] लंदन. बोरिस जॉनसन के पीएम पद से हटने से पहले तक ऋषि सुनक अपने राजनीतिक करियर में तेजी से बढ़ रहे थे और अभी भी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद की होड़ में बने हुए हैं. अगर भारत के अप्रवासियों के वंशज सुनक दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की कमान संभालने में सफल होते हैं तो यह एक ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा.

बहरहाल सुनक को इसके लिए कंजर्वेटिव पार्टी के सदस्यों का भरोसा हासिल करना होगा. जबकि सर्वे में दिखाया गया है कि वह लिज़ ट्रस से काफी पीछे चल रहे हैं. एक खबर के मुताबिक ट्रस ने करों में कटौती के अपने वादे के बाद बढ़त बना ली है.

जबकि सुनक का तर्क है कि ब्रिटेन को मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने और विकास को पटरी पर लाने के लिए कठोर आर्थिक नीतियों की जरूरत है. ब्रिटेन के सबसे महंगे निजी स्कूलों में से एक विंचेस्टर कॉलेज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाले 42 वर्षीय सुनक ब्रेक्सिट के शुरुआती समर्थकों में से थे. 

सुनक फरवरी 2020 में वित्त मंत्री बने थे. तभी कोविड महामारी भड़क उठी. तब उन्हें तेजी से एक विशाल आर्थिक सहायता पैकेज तैयार करने के लिए मजबूर किया गया था. अब वे कहते हैं कि इसकी कीमत देश को चुकानी होगी. बहरहाल भारत में सुनक को उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति के कारण जाना जाता है जो इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी हैं.

पिछले साल तक सुनक के पास यूएस का ग्रीन कार्ड था. उनके आलोचकों को ये कहने का मौका मिला कि ब्रिटेन के लिए उनमें दीर्घकालिक वफादारी की कमी है. हाल ही में इंफोसिस की ब्रिटेन में हुई आय पर करों का भुगतान नहीं कर पाने पर सुनक को कठिन सवालों का सामना करना पड़ा.

जनमत सर्वेक्षणों में पाया गया कि मतदाताओं में इसे लेकर गहरी नाराजगी है. सुनक ने एक सांसद के रूप में भगवद गीता पर शपथ ली थी. सुनक के दादा-दादी पंजाब से थे और 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका से ब्रिटेन आए थे.

सुनक ने 2015 में अपने भाषण में कहा था कि वे बहुत कम सामान के साथ ब्रिटेन पहुंचे थे. उनके पिता साउथेम्प्टन में एक चिकित्सक थे और उनकी मां एक फार्मेसी चलाती थीं. सुनक ने पहले एक रेस्तरां में वेटर का भी काम किया था.

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