भिलाई [न्यूज़ टी 20] रिजर्व बैंक की कोशिशों को बावजूद डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट जारी है। मंगलवार को कारोबार के दौरान रुपया टूटकर 80 रुपये प्रति डॉलर के पार पहुंच गया। इससे कच्चे तेल के दाम बढ़ने के साथ महंगाई और भड़कने की आशंका है।
सरकारी सूत्रों का दावा है कि रिजर्व बैंक और सरकार की रुपए के कारोबार पर पैनी नजर बनी हुई है। ऐसे में जैसी ही जरूरत होगी कदम उठाने पर विचार किया जाएगा।दरअसल इस साल जून के बाद से ही महंगाई ने अमेरिका समेत तमाम विकसित देशों बुरी तरह से परेशान करना शुरू कर दिया है।
इसकी वजह से वहां के केंद्रीय बैंकों को ब्याज दरें बढ़ानी पड़ रही है। साथ ही फरवरी के बाद से यूक्रेन और रूस के युद्ध को देखते हुए कच्चे तेल के दाम बढ़ गए। साथ ही अनिश्चितता भी बढ़ने लगी है। ऐसी अनिश्चितता के दौर में निवेशक सतर्क हो जाते हैं और जब भी वो सतर्क होते हैं तो वो भारत जैसे उभरते बाजारों से पैसे निकालने लगते हैं।
आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 की शुरुआत से लेकर वित्तवर्ष 2022-23 में 15 जुलाई के दौरान विदेशी निवेशकों ने 31.5 अरब डॉलर भारतीय बाजारों से खींच लिए हैं।
गिरावट चुनौती नहीं: सेठ
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि घरेलू मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट को लेकर निश्चित तौर पर चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि रुपया ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी कई विदेशी मुद्राओं की तुलना में मजबूत हुआ है।
डॉलर की जरूरत क्यों
दुनिया में 85 फीसदी व्यापार डॉलर की मदद से होता है। साथ ही 39 फीसदी कर्ज डॉलर में दिए जाते हैं। इसके अलावा कुल डॉलर का करीब 65 फीसदी इस्तेमाल अमेरिका के बाहर होता है।
डॉलर को चुनौती
यूरोपीय संघ काफी पहले से डॉलर की बजाय यूरो में कारोबार कर रहा है। चीन यूरोप समेत कई देशों के साथ यूआन में कारोबार कर रहा है। रूस रुपये, युआन में कारोबार की अपील कर रहा है।