रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज जगदलपुर में आयोजित आदिवासी सम्मेलन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं जनसमुदाय की आकांक्षा के मद्देनजर बस्तर के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की।
मुख्यमंत्री ने भतरा समाज को भवन निर्माण के लिए 4 एकड़ जमीन और एक करोड़ रूपए की स्वीकृति दी। मुख्यमंत्री ने बादल को खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय के अधीन महाविद्यालय का दर्जा दिए जाने,
आदिवासी छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ज्ञानगुड़ी में 150 सीटर हॉस्टल निर्माण के लिए 10 करोड़ 42 लाख रूपए की स्वीकृति देने के साथ ही बादल में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन के लिए 25 लाख रूपए की राशि को बढाकर एक करोड़ रूपए किए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के तर्ज पर बस्तर में प्रति वर्ष राष्ट्रीय आदिवासी संगीत महोत्सव के आयोजन की भी घोषणा की। उन्होंने आमचो बस्तर हेरिटेज सोसाइटी के सलाहकार समिति विभिन्न आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों को भागीदारी दी जाएगी
और उनकी सोसाइटी को शासन द्वारा मान्यता देने, बस्तर संभाग के सभी जिलों के आदिवासी शिल्पकारों, कास्तकारों और कलाकारों को बादल से जोड़े जाने की बात कही।
उन्होंने आदिवासी कला संस्कृति एवं परम्पराओं पर शोध करने हेतु बस्तर विश्वविद्यालय के अधीन शोध केंद्र स्थापित करने तथा सिरहा भवन में शहीद वीर झारा-सिरहा की आदमकद प्रतिमा स्थापित किए जाने का ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने आदिवासी सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी सरकार विश्वास, विकास और सुरक्षा के तीन सूत्रों को लेकर लगातार आगे बढ़ रही है। हमने लोहंडीगुड़ा में किसानों की अधिग्रहित जमीन की वापसी की।
वनांचल के लोगों की आर्थिक बेहतरी के लिए 65 प्रकार के लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी के साथ-साथ वैल्यू एडिशन का काम कर रहे हैं।मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि किसानों के ऋण माफी की, सर्वाधिक मूल्य पर धान खरीदी के साथ-साथ मिनी पीएससी के जरिये स्थानीय युवाओं को रोजगार दे रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में पेसा कानून पहले से लागू है, आगामी कैबिनेट में पेसा कानून के नियम पारित करेंगे। राज्य के सभी समाज व वर्ग के लोगों को आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर होने का अवसर मिले यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है और हम इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी समाजों के पास अपने सामाजिक भवन हों, जिन समाजों के पास अभी तक भवन नहीं हैं, उन्हें भी जमीन और भवन दिए जाएंगे।
हम बस्तर के बच्चों के भविष्य को संवारेंगे। दूरस्थ अंचल के बच्चे भी अंग्रेजी में पढ़ें और कलेक्टर, डॉक्टर, इंजीनियर, बनें। हमारी सरकार बस्तर की संस्कृति और परंपराओं को सहेजने का कार्य कर रही है। ऐसी कोई ग्राम पंचायत नहीं है जहां देवगुड़ी का निर्माण या निर्माण की घोषणा न हुई हो।
बस्तर की पहचान को संरक्षित करने बादल की स्थापना की गई है। यहां की लोक कला, गीत, नृत्य को लिपिबद्ध और डिजिटाइज़ किया जा रहा है। ताकि आनेवाली पीढ़ी अपनी संस्कृति न भूले। हमारी कोशिश है कि लोग आर्थिक रूप से मजबूत हों, बच्चे सुपोषित और स्वस्थ हों।
इस अवसर पर जिले के प्रभारी मंत्री कवासी लखमा, सांसद दीपक बैज, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, बस्तर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग उपस्थित थे।