भिलाई /नई दिल्ली (न्यूज़ टी 20 ) । जैसी कि उम्मीद थी , द्रौपदी मुर्मू देश की अगली राष्ट्रपति होंगी। आज सुबह शुरू हुई मतगणना के नतीजे आ गए हैं। जिसमें उन्हें बड़ी जीत हासिल हुई है। विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के मुकाबले उन्हें दो तिहाई के करीब वोट मिले हैं। देश की पहली आदिवासी नेता के तौर पर राष्ट्रपति बनने के बाद द्रौपदी मुर्मू को बधाई देने वालों का तांता शुरू हो गया है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने घर पहुंचकर उन्हें बधाई दी। जानकारी मिल रही है कि कुछ देर में पीएम मोदी उनके घर पहुंचेंगे और बधाई देंगे।
पहले राउंड में ही दो तिहाई से ज्यादा मिले द्रौपदी को वोट
पहले राउंड की गिनती में द्रौपदी मुर्मू को 748 में से 540 वोट मिले थे। इसके अलावा यशवंत सिन्हा को 208 मत हासिल हुए थे। कुल 748 मत पहले राउंड में वैध पाए गए थे, जिनका मूल्य 5 लाख 23 हजार 600 है। इनमें से 540 वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए थे, जिनका मूल्य 3,78,000 है। वहीं यशवंत सिन्हा पहले ही राउंड में बड़े अंतर से पिछड़ गए थे। उन्हें कुल 208 वोट ही मिले थे, जिनका मूल्य 1,45,600 ही आंका गया।
दूसरे राउंड में द्रौपदी मुर्मू की बढ़त और बढ़ी
द्रौपदी मुर्मू की जो बढ़त पहले राउंड में थी, वह दूसरे चरण की मतगणना में और ज्यादा बढ़ गई। दूसरे राउंड की मतगणना तक कुल 1886 वैध मतों की गिनती की गई, जिनमें से 1349 वोट द्रौपदी मुर्मू को हासिल हुए। इसके अलावा यशवंत सिन्हा को मिलने वाले वोटों की संख्या 537 रही। दूसरे चरण की मतगणना तक द्रौपदी मुर्मू के वोटों का मूल्य 4,83,299 था, जबकि यशवंत सिन्हा को मिले वोटों का मूल्य 1,89,876 ही रह गया। इस तरह पहले चरण से ही द्रौपदी मुर्म ने बड़ी बढ़त को कायम रखा।
विपक्ष के सांसदों की क्रास वोटिंग
भाजपा ने दावा किया है कि पहले दौर में सांसदों की वोटिंग के दौरान विपक्ष के नेताओं ने क्रास वोटिंग की।भाजपा ने तर्क दिया कि उन्हें पहले राउंड में 523 वोट की उम्मीद थी लेकिन मिले 540 वोट।
आदिवासी संथाल जनजाति से आती हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून, 1958 को संथाल जनजाति में हुआ था। मुर्मू के पिता बिरंची नारायण टुडू जिले के बालदापोसी गांव के एक किसान थे। मुर्मू ने अपनी स्नातक की पढ़ाई भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से की थी। इसके बाद उन्होंने श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च रायरंगपुर में सहायक प्रोफेसर के रुप में काम करना शुरू किया। यहां उनकी पहचान एक मेहनती शिक्षक के तौर पर थी।
हादसा
हादसे में हो गई पति और दोनों बेटों की मौत
मुर्मू ओडिशा के सिंचाई विभाग में जूनियर सहायक के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। मुर्मू की शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी और उनके दो बेटे और एक बेटी थी। लेकिन कुछ समय बाद ही एक हादसे में उन्होंने अपने पति को खो दिया। इसके बाद अलग-अलग हादसों में उनके दोनों बेटों की भी मौत हो गई। उनकी बेटी इतिश्री रांची में रहती हैं और उन्होंने झारखंड के गणेश हेम्ब्रम से शादी की है।
राजनीतिक जीवन
पहली बार में ही जीता विधानसभा चुनाव
मुर्मू ने 1997 में भाजपा में शामिल होकर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की। ओडिशा के रायरंगपुर जिले में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीट पर वो 1997 में पहली बार पार्षद चुनी गईं। मुर्मू ने अपना पहला विधानसभा चुनाव 2000 में रायरंगपुर से जीता और राज्य सरकार में वाणिज्य और परिवहन मंत्रालय संभाले। तब राज्य में बीजू जनता दल और भाजपा के गठबंधन की सरकार थी।
राजनीतिक सफर
देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल रही हैं मुर्मू
2000 में ही मुर्मू को परिवहन विभाग से हटा कर मत्स्य पालन और पशुपालन विभाग दिया गया और भाजपा ने उन्हें अपना जिला अध्यक्ष बनाया। 2009 में उन्होंने फिर से रायरंगपुर विधानसभा से चुनाव जीता था। 2010 में दूसरी बार और 2013 में तीसरी बार मुर्मू को भाजपा ने अपना जिला अध्यक्ष बनाया। 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। वह देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल थीं।
राज्यपाल का कार्यकाल
लोक अदालत का आयोजन कर किया 5000 मामलों का निपटारा
मुर्मू ने राज्यपाल के अपने कार्यकाल के दौरान कई बार राज्य सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए, लेकिन हमेशा संवैधानिक गरिमा और शालीनता का ध्यान रखा। उन्होंने अपने कार्यकाल में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोक अदालतों का आयोजन करके शिक्षकों और विश्वविद्यालयों से जुड़े लगभग 5,000 मामलों को सुलझाया। उन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया को केंद्रीकृत उन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने के लिए चांसलर पोर्टल भी बनवाया था।
नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित हैं मुर्मू
मुर्मू को ओडिशा विधानसभा ने 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बाद देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति बनी द्रौपदीकेंद्रीकृउन्होंने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने के लिए चांसलर पोर्टल भी बनवाया था।