राजनीती।News T20: छत्तीसगढ़ में 5 साल सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी को साल 2023 के विधानसभा के चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के साथ ही अब कांग्रेस में आपसी तनातनी जैसी स्थिति बनने लगी है।
दिल्ली में बैठकर जहां एक तरफ कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी छत्तीसगढ़ की प्रभारी कुमारी शैलजा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, टीएस समेत कई बड़े नेता प्रदेश में हार पर मंथन और चिंतन कर रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी आपस में एक दूसरे पर हार का निशाना साध रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मंत्री रहे जयसिंह अग्रवाल और बृहस्पति सिंह ने बखेड़ा खड़ा कर दिया है। तो वहीं अमरजीत भगत के बयान कांग्रेस की आपसी गुटबाजी की तरफ नजर आ रहे। दूसरी तरफ पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भूपेश बघेल पर हार का ठीकरा फोड़ा है, तो वहीं टिकट न मिलने से नाराज रहे बृहस्पति सिंह ने टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार का जिम्मा लेने की बात कह दी है।
छत्तीसगढ़ में रामानुजगंज से विधायक रहे बृहस्पत सिंह का विधानसभा चुनाव में टिकट काट देने के बाद अब बृहस्पत सिंह ने मोर्चा खोल दिया है। बृहस्पत सिंह ने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के हार के लिए प्रभारी शैलजा और सिंहदेव को जिम्मेदार ठहराया है। वैसे तो यह बात किसी से छुपी नहीं है कि कांग्रेस की राजनीति में बृहस्पत सिंह टीएस के खास विरोधी माने जाते हैं। लेकिन शैलजा के खिलाफ दिए गए बयान के बाद अब कांग्रेस में नया माहौल बन गया है।
मुख्यमंत्री पर हार का सीधा आरोप
पूर्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कांग्रेस की हार पर सीधा भूपेश बघेल पर निशाना साधा है। जय सिंह अग्रवाल ने कहा कि साल 2018 में सब की मेहनत से जनादेश मिला था। लेकिन सरकार चलाने का जो तरीका था वह एक स्थान पर केंद्रित हो गया था। मंत्रियों को जो अधिकार मिलने चाहिए थे वह नहीं मिल पाए। सिर्फ एक स्थान से सेंट्रलाइज होकर कुछ चुनिंदा लोगों के साथ 5 वर्षों तक काम किया गया। इन सभी बातों का नुकसान समय-समय पर कांग्रेस पार्टी को हुआ है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी को इतना बड़ा जनादेश मिला है।
हार के बाद भी संगठन में फिलहाल कोई बदलाव नहीं
वही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की हार को लेकर प्रदेश के नेताओं के साथ कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चिंतन और मनन किया है। जिसमें बड़ी संख्या में विधायको और हार के कारणों की वजह पर चर्चा की गई है। इसके साथ ही सिंहदेव की हार पर भी चर्चा की गई। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में नेता प्रतिपक्ष कौन होगा इस पर भी चर्चा की गई। हालांकि इस चर्चा में अंतिम सहमति नेता प्रतिपक्ष को लेकर नहीं बन पाई है। इसके साथ ही संगठन में बदलाव होंगे या नहीं यह भी साफ हो गया है ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले संगठन में बदलाव नहीं किये जाएंगे।
कांग्रेस पार्टी में इस तरह की आपसी तनातनी यह पहली बार देखने को नही मिल रही है। छत्तीसगढ़ में साल 2018 में सत्ता में आई कांग्रेस उन दिनों भी मुख्यमंत्री को लेकर एक दूसरे के समर्थन में दिल्ली जाते दिखाई दे रहे थे। इतना ही नहीं इस पूरे मामले में जमकर हंगामा भी हुआ था। लेकिन जैसे-तैसे भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया। अब साल 2023 के चुनाव के परिणाम भी सामने नहीं आए थे। लेकिन एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी की रेस सबसे पहले कांग्रेस पार्टी में शुरू हो गई। नतीजे कांग्रेस के पक्ष में बिल्कुल नहीं आए और प्रदेश में कांग्रेस अब विपक्ष में जाकर बैठ गई है।