भिलाई [न्यूज़ टी 20] महंगाई की मार से अब कंपनियां भी त्रस्त होने लगी हैं। यही कारण है कि उपभोक्ता वस्तुएं बनाने वाली एफएमसीजी कंपनियों ने छोटे पैकेट का वजन घटाना शुरू कर दिया है।
पारले और ब्रिटानिया जैसी कंपनियां ग्रामीण बाजारों पर पकड़ बनाए रखने के लिए छोटे पैकेट में सामान की बिक्री पर ज्यादा जोर देती हैं। इनकी कुल बिक्री में छोटे पैकेट वाले सामान की 40 से 50 फीसदी हिस्सेदारी है।
हालांकि, महंगे खाद्य तेल, चीनी और गेहूं की कीमत के कारण इन कंपनियों पर दो रुपये से लेकर 10 रुपये तक के छोटे पैकेट के वजन में कटौती का दबाव बढ़ा है।
पिछले छह महीने में प्रसिद्ध पारले-जी बिस्कुट के 10 रुपये से कम कीमत वाले सभी पैकेट के वजन को घटाकर सात से आठ फीसदी महंगा किया जा चुका है।
पारेल प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ कैटेगरी प्रमुख कृष्णराव बुद्धा का कहना है कि छोटे पैकेट का उत्पादन काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इनसे होने वाली कमाई ज्यादा अच्छी नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहां तक संभव है, हम पैकेट का वजन कम करते हैं। इसी तरीके से हम टिके रहते हैं और महंगाई का प्रबंधन करते हैं। 10 रुपये से ज्यादा मूल्य वाले पैकेट की कीमतों में हम सीधे वृद्धि करते हैं।
तेजी से बढ़ रही थोक कीमत
महंगाई के कारण न सिर्फ परिवारों की खर्च करने की शक्ति घट रही है बल्कि कंपनियां भी प्रभावित हो रही हैं। इसका कारण यह है कि खुदरा कीमतों के मुकाबले थोक कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।
उदाहरण के लिए- वार्षिक आधार पर मार्च तिमाही में चीनी की कीमतों में सात फीसदी का उछाल रहा है, वहीं काजू की कीमत 35 फीसदी बढ़ गई है। इसके अलावा पैकेजिंग की लागत भी बढ़ गई है।
मार्च तिमाही में लेमिनेशन 20 फीसदी महंगी हुई है। नालीदार बक्से की कीमत 21 फीसदी बढ़ी है। खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी से उछाल आया है।
कंपनियों के पास कोई विकल्प नहीं
बुद्धा का मानना है कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है। हम पांच और 10 रुपये कीमत वाले पैकेट की बिक्री जारी रखेंगे क्योंकि उपभोक्ता इन्हीं को चाहते हैं।
पारले बिस्कुट के पांच रुपये वाले पैकेट की कंपनी की कुल बिक्री में 40 से 45 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं 10 रुपये वाले पैकेट की कुल बिक्री में 25 से 30 फीसदी हिस्सेदारी है।
कंपनी के संचालन में हो रही कठिनाई
प्रिया गोल्ड ब्रांड से बिस्कुट बेचने वाली कंपनी सूर्या फूड एंड एग्रो का कहना है कि महंगाई के कारण कंपनी का संचालन कठिन हो रहा है। कंपनी के निदेशक शेखर अग्रवाल का कहना है कि पहले महंगाई बढ़ने पर हम वजन कम कर देते थे, लेकिन अब यह तरीका काम नहीं कर रहा है।
हम पांच रुपये वाले पैकेट को बंद कर सकते हैं या फिर पांच रुपये वाले पैकेट की कीमत को बढ़ाकर 10 रुपये किया जा सकता है। अब हम पांच रुपये में किसी भी वजन का पैकेट नहीं दे सकते हैं। सूर्या फूड एंड एग्रो के पोर्टफोलियो में 70 फीसदी हिस्सेदारी पांच और 10 रुपये कीमत वाले उत्पादों की है।
बंद हो सकते हैं पांच रुपये वाले पैकेट
कंपनियों का कहना है कि हम पर जल्द केवल 10 रुपये की कीमत वाले पैकेट की बिक्री का दबाव बन सकता है। पारले के बुद्धा का कहना है कि अगले दो-तीन साल में पांच रुपये वाले पैकेट की कीमत ही 10 रुपये हो सकती है।
धीरे-धीरे पांच रुपये वाले पैकेट को बंद किया जा सकता है क्योंकि यह उपभोक्ता मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है। पिछले सप्ताह वित्तीय नतीजों की घोषणा करते समय ब्रिटानिया ने कहा था कि इस साल कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी की आवश्यकता है। यह बढ़ोतरी वजन में कटौती के जरिए की जाएगी।
चीन का लॉकडाउन और बढ़ाएगा संकट
कोरोना पर अंकुश के लिए चीन के कई शहरों में लॉकडाउन जारी है। इससे वैश्विक आपूर्ति शृंखला प्रभावित हो रही है।
जानकारों का कहना है कि यदि चीन के कारण वैश्विक आपूर्ति शृंखला लंबे समय तक प्रभावित रहती है तो आने वाले समय में महंगाई का संकट और बढ़ सकता है। महंगाई का सबसे ज्यादा असर खाने-पीने की वस्तुओं पर पड़ेगा।