रायगढ़। मरे हुए आदमी को जिंदा बताते हुए उसकी जमीन बेचने वाले राकेश जिंदल एंड टीम पर एफआईआर का आदेश रायगढ़ न्यायालय ने दिया है जिसके बाद चक्रधर नगर थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है ।

रायगढ़ जिले में चक्रधरनगर थाना क्षेत्र के ग्राम चकोबा निवासी और सन् 1995 में मर चुके दौलत सिंह के नाम पर किसी नकली आदमी को दौलत सिंह बनाकर रजिस्ट्रार ओफिस में खड़ा करके दौलत सिंह के नाम पर ग्राम तमनार में स्थित भूमि खसरा नं. 229/46/6 रकबा 0.506 हे0 की रजिस्ट्री राकेश जिंदल द्वारा जिंदल कंपनी के नाम पर दिनांक 28.04.2001 को करा लेने के बेहद गंभीर अपराध की सुनवाई न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी दामोदर प्रसाद चन्द्रा की अदालत में सोमवार को की गई एवं इस प्रकरण में पीड़ित के अधिवक्ता आशीष कुमार मिश्रा के तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने अपराधी राकेश जिंदल के विरुद्ध धारा 467, 468, 471, 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर अभियोगपत्र पेश करने का निर्देष थाना प्रभारी चक्रधनगर को दिया है।

मृतक दौलत सिंह के मरने के 6 साल बाद उसके नाम पर नकली आदमी खड़ा करके राकेश जिंदल द्वारा दौलत सिंह की जमीन जिंदल कंपनी के नाम पर रजिस्ट्री करा लेने के अपराध की जानकारी दौलत सिंह के नाती दिव्य सिंह को जब मिली, तब वह पूरे सबूतों के साथ पुलिस और प्रशाषन के उच्च अधिकारियों के पास जाकर न्याय का दरवाजा खटखटाता रहा लेकिन रसूखदार राकेश जिंदल के विरुद्ध न तो पुलिस विभाग किसी किस्म की सुनवाई के लिये तैयार था, न ही शासन और प्रशाषन के उच्च अधिकारी ही राकेश जिंदल पर हाथ डालने की हिम्मत कर रहे थे, जिसके कारण गत बीस वर्षों तक करोड़पति राकेश जिंदल का यह अपराध कचरे के डब्बे में दफन था और मृतक की जमीन पर अपना नाम दर्ज करा कर और कब्जा करके जिंदल कंपनी अपना औद्योगिक साम्राज्य और भी विस्तारित करने का लक्ष्य हासिल कर चुकी थी ।
मृतक के नाती ने इस मामले में न्याय पाने के लिये भारत के प्रधानमंत्री सहित प्रदेश के मुख्यमंत्री, गवर्नर, और राजस्व मंत्री से भी न्याय की गुहार लगाया लेकिन सभी जगह से उसे निराशा ही हाथ लगी, तब वह थक हार कर रायगढ़ के सीनियर एडवोकेट अशोक कुमार मिश्रा-आशीष कुमार मिश्रा के मार्फत सितंबर माह में न्यायालय में इस अपराध बावात् परिवादपत्र प्रस्तुत कराया । न्यायालय में परिवाद पेश करने के 9 माह के भीतर पीड़ित की रिपोर्ट पर करोड़पति व्यापारी राकेश जिंदल के जिंदल के विरुद्ध अपराध दर्ज करने का आदेश पारित हो गया एवं राकेश जिंदल की धोखाधड़ी के शिकार गरीब किसान को आखिर कामयाबी हासिल हो गई एवं उसके लिये न्याय पाने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

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