भिलाई / [ न्यूज़ टी 20 ] सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसने दिल्ली सरकार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा गरीब किरायेदारों के किराए का भुगतान करने के लिए किए गए वादों को लागू करने का निर्देश देने के फैसले पर रोक लगा दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान गरीब किरायेदारों को आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा किराये से राहत पहुंचाने संबंधी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की घोषणा के क्रियान्वयन पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि यदि कोई गरीब किरायेदार कोविड-19 महामारी के दौरान किराया नहीं दे सकता है तो राज्य सरकार यह राशि अदा करेगी।
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा कि कोई नीति बनानी होगी, इस बारे में एक अधिसूचना जारी करनी होगी। बेंच ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट के इस आदेश में हस्तक्षेप नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चूंकि हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच के फैसले के खिलाफ उस अदालत की डिवीजन बेंच द्वारा जारी आदेश के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है, ऐसे में संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत हस्तक्षेप का कोई मामला नहीं बनता है। इस आधार पर विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल 27 सितंबर को हाईकोर्ट ने ‘आप’ सरकार को मुख्यमंत्री की उक्त घोषणा के क्रियान्वयन के लिए नीति बनाने का निर्देश देने वाले सिंगल जज बेंच के आदेश पर रोक लगा दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने COVID-19 महामारी के मद्देनजर 29 मार्च, 2020 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे को लागू करने की मांग की थी, जिसमें उन्होंने सभी मकान मालिकों से उन किरायेदारों से किराया नहीं मांगने का अनुरोध किया था जो गरीब और बेरोजगार हैं।