भिलाई [न्यूज़ टी 20] आज मदर्स डे है। इस मौके पर हम आपके लिए एक ऐसी मां कहानी लाए हैं, जो पिछले दो साल से अपने मृत बेटे के माथे पर लगा नक्सली का दाग धोने के लिए संघर्ष कर रही है।
मां ने अपने बेटे की अंत्येष्टि सिर्फ इस वजह से नहीं की, क्योंकि उसे लगता है कि शव जला देंगे तो उसके बेटे को निर्दोष साबित करने की उम्मीद भी जल जाएगी।
यह मामला है दंतेवाड़ा में किरंदुल की पहाड़ियों के पीछे 20 किमी घने जंगल में बसे गांव गमपुर का। नक्शे के मुताबिक यह गांव बीजापुर में आता है। इस गांव के एक कच्चे घर के बाहर कब्र है बदरू माड़वी की।
22 साल के बदरू को 19 मार्च 2020 को गोली मार दी गई थी। पुलिस के मुताबिक वह नक्सली कैडर से जुड़ा था, जबकि बदरू की मां माड़वी मारको का कहना है कि उनका बेटा उस दिन जंगल में महुआ बीनने गया था। शाम को खबर आई कि उसे गोली लग गई है। वह मारा गया है।
फिर शुरू हुई इंसाफ की लंबी लड़ाई
उस दिन से बदरू की मां माड़वी के जीने का मकसद बदल गया। वह मानने को तैयार ही नहीं है कि उनके बेटे का जुड़ाव नक्सलियों से हो सकता है। उन्होंने अब तक बदरू के शव की अंत्येष्टि नहीं होने दी है।
इसलिए कि अगर कोर्ट से आदेश मिलता है तो दोबारा पोस्टमार्टम समेत अन्य फोरेंसिक जांच हो सके। माड़वी को उम्मीद है कि जांच होगी तो बदरू के माथे पर नक्सली होने का जो कलंक लगा है, वह मिट सकेगा। अब बेटा तो नहीं रहा, लेकिन उसके परिवार को इस दाग के साथ नहीं जीना पड़ेगा।
शव दफनाया, पर नष्ट न हो इसका भी ख्याल
बदरू के परिजन ने गांव के श्मशान के किनारे 6 फीट का गड्ढा खोदकर बदरू के शव को कपड़ों में लपेटकर रखा है। शव पूरी तरह नष्ट न हो, इसके लिए गड्ढे को लकड़ी के पटरे से ढंका है। ऊपर से पॉलीथिन बिछाकर मिट्टी डाली है।
कब्र के पास ही खटिया, कपड़े, टोकरी व जरूरत के सामान रखे हैं। मान्यता है कि मृतक भी आत्मा रूप में अपनी प्रिय चीजों का इस्तेमाल करते हैं। दो साल बाद शव तो बुरी तरह खराब हो चुका है, मगर परिवार की आस जिंदा है।
मां बोली– बस्तर में तो सबको नक्सली समझते हैं
माड़वी मारको दिन में कई बार श्मशान तक जाती है। कब्र के पास वह घंटों बैठी रहती है। मारको कहती हैं कि पति की मौत के बाद बड़ा बेटा होने के नाते बदरू पर ही परिवार की जिम्मेदारी थी। 2016 में उसकी शादी पोदी से हुई थी।
दंपती के बच्चे नहीं हैं। दो छोटे भाइयों सन्नु और पंडरू की शादी होनी थी। मार्च 2020 की उस मनहूस दोपहर ने पूरे परिवार की जिंदगी बदल दी। उस दिन से मैं और पोदी एक-एक दिन गिन रहे।
मारको गुस्से में कहती है कि बस्तर में तो सभी को नक्सली समझा जाता है। जब तक इस मामले को कोर्ट संज्ञान में नहीं लेता तब तक बेटे का अंतिम संस्कार नहीं करूंगी,
क्योंकि शव के साथ हमारी आखिरी उम्मीद भी जल जाएगी। बदरू की पत्नी पोदी का कहना है कि अब उसका सब कुछ लुट चुका है पर अब भी उसे न्याय की उम्मीद है।
ग्रामीण बोले- यह गांव में होने पहली घटना नहीं
भास्कर टीम से बातचीत में एक युवा अर्जुन कड़ती ने कहा कि ऐसी घटना उसके परिवार में भी हो चुकी है। 2017 में उसके बड़े भाई भीमा कड़ती अपनी साली के साथ अपनी बच्ची के छठी कार्यक्रम की तैयारी
के लिए बाजार गया था। उस दिन भी खबर आई कि दोनों मुठभेड़ में मारे गए हैं। उसके पहले मासो नामक एक ग्रामीण गोलीबारी का शिकार बना था।
कई बार आईडी नहीं होने पर पिटाई भी हो जाती है
अर्जुन का कहना है कि हमारे गांव में ना तो किसी का आधार कार्ड है और ना वोटर कार्ड। कुछ लोगों के पास पुराने राशन कार्ड हैं। कई बार ग्रामीणों को जंगलों में पकड़ लिया जाता है, उनकी पहचान पूछी जाती है। दस्तावेज नहीं होते तो नक्सली होने का आरोप लगता है।
पिटाई भी हो जाती है। एक बार सुकमा के लोगों का आधार कार्ड बनवाने दंतेवाड़ा के पास के शिविर लगा था। गांव के लोगों ने भी बीजापुर के सीईओ से शिविर लगवाने का निवेदन किया था मगर आज तक कोई पहल नहीं हुई।
हम तो आदिवासी हैं, जंगल से दूर कैसे रहेंगे!
5वीं तक पढ़े गांव के एक युवक कमलू का कहना है कि हमारी आमदनी का जरिया वनोपज ही है। इसे जमा करने के लिए हमें पूरे दिन जंगलों में भटकना पड़ता है। ऐसे में कई बार उन्हें फोर्स की ओर से शक की निगाह से देखा जाता है,
और प्रताड़ित किया जाता है। इसलिए आज पूरा गांव एकजुट होकर इस कलंक को मिटाना चाहता है, ताकि न्यायालय से ही इस समस्या का ठोस निदान किया जा सके।
SP बोले- नक्सली कैडर का सदस्य था बदरू
दंतेवाड़ा एसपी सिद्धार्थ तिवारी बताते हैं कि गमपुर मुठभेड़ के बाद मजिस्ट्रियल जांच हुई थी, इसमें मृतक बदरू माड़वी को नक्सली कैडर का हिस्सा पाया गया था। बदरू के घर वाले हाईकोर्ट से नोटिस
आने की बात कह रहे हैं लेकिन हमें अभी इस तरह का कोई नोटिस नहीं मिला है। फिर भी मैं एक बार मामले की फाइल देख लेता हूं, उसके बाद ही कुछ बता सकूंगा।
वकील सोरेन ने कहा- समय बीता, प्रतिपक्ष ने नहीं रखा जवाब
बिलासपुर हाईकोर्ट में बदरू माड़वी के मामले का केस लड़ रहीं वकील रजनी सोरेन कहती हैं कि हमने कोर्ट से मामले की जांच करवाने, मुठभेड़ में शामिल लोगों पर एफआईआर करने और दोषी पाए जाने पर मर्डर का चार्ज लगाने की मांग रखी है।
मार्च में हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने प्रतिपक्ष को जवाब देने के लिए चार हफ्ते का समय दिया था लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं रखा गया है। अगली सुनवाई में हम कोर्ट में आगे की जांच के लिए अपना पक्ष रखेंगे।