भिलाई [न्यूज़ टी 20] यूक्रेन में रूसी हमले को अब एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं। वहां के लोग तमाम तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्गों की हालत सबसे ज्यादा चिंताजनक है। यूक्रेन के कई प्रसव अस्पताल में प्रीमैच्योर बर्थ में अचानक से बढ़ोत्तरी हुई है।
खार्किव और लीव के पेरेंटल क्लिनिक ने इस बात की पुष्टि की है। इन क्लिनिकों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में ये दर दोगुनी-तिगुनी हुई है। उनका मानना है महिलाओं की इस मेडिकल कंडीशन की वजह युद्ध के दौरान होने वाला तनाव है।
सबसे दिलचस्प कहें या साहस ये मांएं प्रीमैच्योर बच्चा पैदा करने के बाद खार्किव में देश के लिए लड़ने जा रही हैं।
समय से पहले पैदा होने वाले बच्चे सामान्य वजन से पांच गुना कम
खार्किव के एक प्रसव अस्पताल में 630 ग्राम (1.4lbs) की पॉलिना का जन्म हुआ है। वहीं, लीव के अस्पताल में 800 ग्राम की विक्टोरिया ने जन्म लिया है। विक्टोरिया मार्च की शुरुआत में लीव के प्रसव अस्पताल में अपनी जुड़वां बहन वेरोनिका के साथ पैदा हुई।
इन दोनों बहनों में से एक रिफ्यूजी के तौर पर रह रही, वहीं दूसरी आईसीयू में जिंदगी की जंग लड़ रही है। मेडिकल डायरेक्टर इरीना कोंडराटोवा पॉलिना की देखरेख कर रही हैं। एयर स्ट्राइक वर्निंग और सायरन के बीच भी अस्पताल के स्टाफ ने हॉस्पिटल में ही रुकने का फैसला किया है।
डॉक्टर कोंडराटोवा कहती हैं कि विक्टोरिया और पॉलिना जैसी बच्चियां, जिनका वजन 600 ग्राम है, उन्हें बेसमेंट में नहीं रखा जा सकता है। इरिना कहती हैं- ‘ये पूरी सिचुएशन मेरे दिल को दो टुकड़े में बांटने जैसा है।
जहां मेरी एक बेटी मेरे साथ है, जबकि दूसरी डॉक्टर के पास। मैं हमेशा सोचते रहती हूं कि क्या सबकुछ ठीक है? वो कैसा महसूस कर रही है? लेकिन ऐसे हालात में हमें मजबूत होना पड़ेगा।’
बच्चों को जन्म देने के लिए महिलाएं कीव छोड़ दूसरे शहर जा रहीं
विक्टोरिया और वेरोनिका को जन्म देने के ठीक पहले इरीना ज़ेलेना कीव से लीव आ गईं। वो बताती हैं- वहां इतनी ज्यादा गोलीबारी और बमबारी हो रही थी कि हम शेल्टर में रहने को मजबूर थे। वो विक्टोरिया और वेरोनिका के प्रीबर्थ की वजह युद्ध के पहले दिनों से ही बंकर में रहने और तनाव को मानती हैं।
इरीना हवाई हमले के ठीक पहले बजने वाला सायरन को काफी डिस्टर्बिंग मानती हैं। वहीं, ओल्गा बोगाडिज़ा, जो 6 महीने की प्रेग्नेंट है। कीव से डिलीवरी के लिए लीव के अस्पताल आई हैं। उन्होंने कीव से लीव आने में तीन दिन का समय लगा। इस दौरान उन्हें ना तो खाना मिला और ना ही पानी।
क्राउडेड बेसमेंट प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए बना रहा खतरा
कॉन्फ्लिक्ट जोन में महिलाएं ज्यादा से ज्यादा समय क्राउडेड बेसमेंट में बिता रही हैं। ऐसी जगहों पर इंफेक्शन फैलने का चांस काफी हाई होते हैं। साथ ही प्रेग्नेंट महिलाओं को ना तो अच्छा खाना मिल रहा और नहीं मेडिकल हेल्प। यही वजह है कि प्रीमैच्योर बर्थ की संख्या बढ़ी गई है।
डॉक्टर कोंडराटोवा कहती हैं उनके क्लिनिक में समय से पहले जन्म का प्रतिशत बढ़ गया है। हालांकि, पेशेंट की कुल संख्या कम हो गई है, क्योंकि महिलाएं खार्किव में लड़ाई में भाग लेने जा रही हैं।
सरोगेसी से पैदा होने वाले 600 नवजात का भविष्य अंधेरे में
हाल ही में यूक्रेन की सबसे बड़ी सरोगेट प्रोवाइडर कंपनी BioTexCom ने बताया कि उनसे 600 महिलाएं जुड़ी हैं। इनमें से ज्यादातर महिलाओं की डिलीवरी हो चुकी है। उन्हें यूक्रेनियन नैनी की देखभाल में रखा हुआ है।
कंपनी की तरफ से इस मुश्किल की घड़ी में सुरक्षा के लिए सेफ्टी बंकर बनाए गए हैं। रूसी हमले के चलते राजधानी कीव में सैकड़ों विदेशी सरोगेट बच्चे फंस गए हैं। ऐसे बच्चों के माता-पिता दूसरे देशों से यहां नहीं आ पा रहे हैं।
इनको जन्म देने वाली मांएं परेशान हैं कि अगर उनके माता-पिता नहीं आ पाए तो इन बच्चों का क्या होगा। पहले ये बच्चे कोरोना और लॉकडाउन के चलते फंसे थे और अब युद्ध के चलते अपने पेरेंट्स तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।