भिलाई [न्यूज़ टी 20] प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 मई से 6 मई के बीच यूरोप की यात्रा पर जा सकते हैं। इस दौरान वह फिर से निर्वाचित फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज के साथ द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा लेंगे।
इसके अलावा पीएम मोदी कोपेनहेगन में भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन को संबोधित भी करने वाले हैं। मैक्रों ने फ्रांस के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे दौर के लिए शानदार वोटों से जीत हासिल की है।
पीएम मोदी के पेरिस में भारत के सबसे करीबी द्विपक्षीय भागीदारों में से एक के नेता से मिलने और उनका अभिवादन करने की उम्मीद है।
भारत और फ्रांस के बहुत करीबी राजनीतिक और रक्षा संबंध हैं। साथ ही दोनों देश इंडो पैसिफिक रीजन को लेकर समान विचार रखते हैं।
आत्मानिर्भर भारत परियोजना को मजबूती देने की कोशिश
भारत में एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन पनडुब्बियों और हाई थ्रस्ट एयरक्राफ्ट इंजन का निर्माण करके पीएम मोदी की आत्मानिर्भर भारत परियोजना पर दोनों देशों के आगे बढ़ने की उम्मीद है।
रणनीतिक साझेदार होने के नाते भारत और फ्रांस के बीच हिंद महासागर की मैपिंग को लेकर भी बात हो सकती है। पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों के भी एक-दूसरे के साथ व्यक्तिगत संबंध हैं।
फ्रांस यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस पर भारतीय स्थिति को समझता है।
बैठक में यूक्रेन युद्ध पर प्रमुखता से चर्चा
रूस का यूक्रेन में अभियान को लगातार जारी है। नॉर्डिक देशों के साथ पीएम मोदी की बैठक के एजेंडे में यह मामला सबसे ऊपर होगा। जर्मनी भी मास्को पर अपने रुख के बारे में दोबारा सोच रहा है।
जर्मनी विशेष रूप से रूस और चीन दोनों के लिए एक बड़ा व्यापार भागीदार रहा है लेकिन यूक्रेन युद्ध और नए चांसलर ने बॉन को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है।
भारत-जर्मनी के रिश्ते में गर्मजोशी लाने का प्रयास
पीएम मोदी की बैठकों की सही तारीख और समय पर फिलहाल काम चल रहा है। भारतीय नेता जर्मन चांसलर स्कोल्ज के साथ द्विपक्षीय संबंधों को फिर से जगाने की कोशिश करेंगे।
एंजेला मर्केल शासन के तहत जर्मनी ने बीजिंग को ऑटोमोबाइल बेचकर चीन के साथ बहुत करीबी व्यापारिक संबंध बनाए थे और अभी भी रूस के साथ तेल और गैस का बड़े पैमाने पर व्यापार चल रहा है।