भिलाई [न्यूज़ टी 20]  मध्यप्रदेश पुलिस ने ऐसा कारनामा किया है जिसने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल धोखाधड़ी के एक मामले में कोर्ट ने 10 आरोपियों को 10 साल बाद सजा सुनाई। इस दौरान कोर्ट में तीन आरोपी ही पेश हुए।

पांच साल की सजा पाने इन आरोपियों को जेल भेज दिया गया। 84 दिन बाद इनमें से एक शख्स ने जमानत मिलने के बाद एसपी ऑफिस पहुंचकर ऐसी शिकायत दर्ज कराई कि वे हैरान रह गए। दरअसल उस शख्स ने शिकायत में जिसे सजा मिली उसकी जगह पर उसे जेल में डाल दिया गया।

इसके बाद यह मामला खुला। खास बात यह है जिस व्यक्ति के बदले शिकायतकर्ता जेल गया था उसकी उम्र 45 वर्ष है और सजा पाए व्यक्ति की उम्र 70 साल। जिन तीन लोगों को सजा हुई उनकी जगह तीन बेगुनाह लोगों को जेल भेज दिया गया। मामला खुलने के बाद मंडला पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं।

सितंबर 2011 को हुई थी शिकायत

फर्जीवाड़े का यह पूरा मामला सितंबर 2011 का है। मंडला जिले में वन विभाग के टोल का ठेकेदार अमित खम्परिया और अन्य पार्टनर हैं। यहां पर्यटकों से ज्यादा वसूली की शिकायत मिली थी।

पहले ज्यादा पैसे लेना उसके बाद मार्कर से मिटा कर सही पैसे लिखने का खेल होता था। इसकी शिकायत पर 8 सितंबर 2011 को धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया।

इस मामले में पुलिस ने अमित खम्परिया, उसके पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी, रामजी द्विवेदी, दशरथ प्रसाद तिवारी समेत रज्जन, उमेश पांडे, अमित पांडे, श्रीकांत शुक्ला, शनि ठाकुर, अजय वाल्मिकी आदि आरोपी बनाए गए।

इस मामले में 10 साल बाद नैनपुर कोर्ट 22 सितंबर 2021 को फैसला सुनाया। कोर्ट ने आरोपियों को पांच-पांच साल की जेल और जुर्माने की सजा सुनाई।

सजा के दौरान कोर्ट में अनिरुद्ध प्रसाद सिंह चतुर्वेदी (70) निवासी टिकुरी उमरिया, रामजी द्विवेदी (66) निवासी सोनवारी मैहर सतना और दशरथ प्रसाद तिवारी (60) निवासी टिकुरी उमरिया ही पेश हुए। अन्य फरार थे।

इसके बाद कोर्ट ने इन तीनों को जेल भेज दिया।। यहीं पर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हुए। सजा के बाद जिन तीन लोगों को जेल भेजा गया वे असली आरोपी नहीं थे।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा

इस पूरे मामले का मुख्य आरोपी अमित खम्परिया है जो यहां का बाहुबली माना जाता है। आरोपियों में इसके पिता अनिरुद्ध सिंह चतुर्वेदी, मौसा रामजी द्विवेदी व एक अन्य रिश्तेदार दशरथ प्रसाद तिवारी शामिल थे।

इन्हें जेल जाने से बचाने के लिए इनकी जगह अमित खम्परिया ने पिता अनिरुद्ध की जगह कोमल प्रसाद पांडे (47), रामजी द्विवेदी की जगह श्यामसुंदर खम्परिया और दशरथ प्रसाद तिवारी के बजाय विराट तिवारी को कोर्ट में पेश कर दिया।

इनके फर्जी आधार कार्ड भी बनवा दिए थे। तीन में से दो तो अमित खंपरिया के कहने पर जेल गए। लेकिन कोमल पाण्डेय को धोखे से व परिवार को मारने की धमकी देकर इस केस में फंसाया गया।

कोमल पाण्डेय जब कोर्ट पहुंचा तो उसे पता चला कि उसे सजा हुई है। वह जेल में कहता रहा कि वह अनिरुद्ध नहीं बल्कि कोमल पाण्डेय है।

84 दिन की जमानत के बाद ऐसे खुला मामला

कोमल पाण्डेय इस मामले में 84 दिन की सजा काटने के बाद जमानत पर बाहर निकला और बुधवार 13 अप्रैल को एसपी ऑफिस पहुंचा इसकी शिकायत की। उसने शिकायत में बताया कि अमित खंपरिया ने धोखे पहले पेशी कराई।

मना करने पर पत्नी व बच्चों को मारने की धमकी दी जिसके कारण वह डर गया था। अब शिकायत के बाद एसपी ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही है।

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