भिलाई / [न्यूज़ टी 20] यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का मामला अंतरराष्ट्रीय अपराध अदालत (आईसीसी) पहुंच गया है। हालांकि पुतिन पहले व्यक्ति नहीं है जिनपर युद्ध अपराध का मामला चलेगा।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (सीएफआर) की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया का पहला युद्ध अपराध का मामला 1945 में नाजी शासकों पर चला था। दुनियाभर में सैकड़ों नेताओं, शासकों और सैन्य अफसरों पर युद्ध अपराध का मुकदमा चल चुका है और सजा भी हुई है। आइए जानते हैं ऐसे ही मामलों के बारे में।
1945: नाजी शासकों पर युद्ध अपराध का पहला मुकदमा
पहली बार 1945 में जर्मन नाजी शासकों के खिलाफ बड़ी संख्या में यहूदियों को मौत के घाट उतारने के मामले में अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायाधीकरण में सुनवाई शुरू हुई। चार साल तक चली सुनवाई में कुल 25 आरोपियों में से 11 अभियुक्तों को मौत की सजा सुनाई गई थी।
अमेरिका ने इस मामले में अपने स्तर पर भी मुकदमा चलाया था जिसमें 65 लोग इस हत्याकांड के लिए दोषी पाए गए और 20 लोगों को मौत की सजा हुई थी। दूसरे विश्व युद्ध के बीच 1942 में बड़े पैमाने पर नरसंहार के लिए नाजी शासकों के लिए सजा की मांग उठी थी।
1945: जापानी सेना के जनरल को मौत की सजा
जापानी सेना के जनरल यामाशिता तोमोयुकी पर आरोप लगा कि उन्होंने 1945 में फिलीपींस में युद्धबंदियों और स्थानीय लोगों के खिलाफ युद्ध छेड़ा। अमेरिका के सैन्य आयोग ने राजधानी मनिला में इस पूरे मामले की सुनवाई शुरू की। आयोग ने जनरल तोमोयुकी को शीर्ष सैन्य अधिकारी के रूप में इसके लिए युद्ध अपराध का दोषी माना।
मामला अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा जहां दो जजों ने फैसले पर आपत्ति जताई। जजों की आपत्ति के बावजूद जनरल यामाशिता को 1946 में मनिला में फांसी दी गई थी।
1946: जापान के प्रधानमंत्री को टोक्यो जेल में फांसी
टोक्यो वॉर क्राइम ट्रिब्यूनल में जापान के शीर्ष 28 नेताओं के खिलाफ दूसरे विश्व युद्ध के दौरान युद्ध बंदियों और अन्य को मौत के घाट उतारने के मामले में 1946 में सुनवाई शुरू हुई। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री टोजो हिडेकी समेत अन्य लोग दोषी पाए गए थे।
जिन्हें सात साल तक कैद और मौत की सजा हुई थी। प्रधानमंत्री टोजो हिडेकी को 23 दिसंबर 1948 को 63 साल की उम्र में टोक्यो के सुगामावो जेल में फांसी दी गई थी। अमेरिकी सुप्रीम कमांडर डगलस मैक आर्थर की निगरानी में अंतरराष्ट्रीय सैन्य न्यायधिकरण में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी।
1993: सुनवाई के बीच पूर्व राष्ट्रपति की मौत
युगोस्लाविया के राष्ट्रपति स्लोबोदन मिलोसेविक पर 1991 में बड़े पैमाने पर बोसनियन मुस्लमानों समेत अन्य धर्मों के लोगों की हत्या का आरोप लगा। 1993 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधीकरण में युद्ध अपराध का मामला दर्ज कराया।
मिलोसेविक पहले पूर्व राष्ट्रपति थे जिनके खिलाफ युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध का मुकदमा चलना शुरू हुआ। हालांकि मिलोसेविक की 2006 में संयुक्त राष्ट्र के नजरबंदी केंद्र में मौत हो गई। अदालत ने इस मामले में 90 लोगों को कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
क्या है इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) का गठन वर्ष 2002 में हुआ था जिसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है। आईसीसी सिर्फ चार तरह के मामलों युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध, नरसंहार और द्वेषपूर्ण भावना से किए गए अपराध की सुनवाई करती है।
आईसीसी के प्रमुख अभियोजक करीम खान का कहना है कि रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध अपराध किया है क्योंकि वहां की सेना सीधे तौर पर लोगों को अपना निशाना बना रही है। इस भयावह स्थिति के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन जिम्मेदार हैं।
रूस 2016 में आईसीसी से हो गया था अलग
रूस ने वर्ष 2000 में आईसीसी का सदस्य बनने के लिए हस्ताक्षर किया था। हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वर्ष 2016 में आईसीसी में शामिल होने की अपनी योजना पर रोक लगा दी थी। ये फैसला उन्होंने तब लिया जब आईसीसी ने एक सुनवाई के दौरान कहा था ।
कि रूस यूक्रेन के शहर क्रीमिया में चल रही रूसी कार्रवाई कब्जे की स्थिति को बयां कर रही है। इसी के बाद रूस ने आईसीसी से अलग होने का फैसला कर लिया। अब रूस के राष्ट्रपति इसी अदालत की जद में आ गए हैं जिसका साथ सात साल पहले छोड़ने का फैसला किया था।
आईसीसी की जद में आ चुके हैं ये नेता
ईराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन पर भी अमेरिका ने युद्ध अपराध का मामला चलाया था। कांगो के पूर्व उप राष्ट्रपति जीन पियरे बेंबा गोंबो को 2008 में आईसीसी द्वारा जारी वारंट के बाद गिरफ्तार किया गया था। 2016 में बेंबा अपराध और यौन हिंसा के मामले में दोषी ठहराए गए और 18 साल की सजा हुई।
सूडान के राष्ट्रपति ओमर अल-बशर को हत्या, प्रताड़ना और रेप का दोषी माना जिनकी तलाश जारी है। आईसीसी ने लिबिया के शासक मुअम्मर अल कद्दाफी, उनके बेटे और अन्य को युद्ध अपराध का दोषी माना था।