भिलाई / रायपुर (न्यूज़ टी 20 )। छत्तीसगढ़ राज्य कांट्रेक्टर्स यूनियन के अध्यक्ष वीरेश शुक्ला ने छत्तीसगढ़ शासन से मांग की है कि राज्य के सभी निर्माण विभागों में जैसे लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना विभाग, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, नगर निगम और नगर पालिका एवं ग्रामीण अभियांत्रिकी विभाग छत्तीसगढ़ सर्विसेज बोर्ड, कृषि उपज मंडी बोर्ड, गृह निर्माण मंडल विकास प्राधिकरण आदि में प्रदेशों के ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्यों को किया जाता है। जिसकी सुविधा प्रदेश की आम जनता तक पहुंचती है।
ठेकेदारों के साथ सौतेला व्यवहार
परंतु राज्य शासन द्वारा ठेकेदारों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है, बाजार में निर्माण सामग्री की कीमतें 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है जैसे लोहा, सीमेंट, डामर, एल्युमिनियम, रेत, गिट्टी, मूरम मिट्टी, सैनिटरी आइटम्स, बिजली के उपकरण आदि विभिन्न निर्माण सामग्रियों में अलग-अलग नियमावली बनाकर ठेकेदारों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ कांट्रेक्टर्स एसोसिएशन ने पूर्व में कई बार शासन प्रशासन को अवगत कराया गया है परंतु उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
परफारमेन्स गारंटी के नियम मनमाना
लोक निर्माण विभाग में थर्ड पार्टी चेकिंग, इंजीनियरों की नियुक्ति और 5 साल तक परफारमेंस गारंटी जैसी बाध्यता है, जबकि जल संसाधन विभाग में 10 वर्षों की परफॉर्मेंस की बाध्यता रखी गई है। इस विभाग में नहर और लाइनिंग का काम होता है, सभी निर्माण विभागों में गौण खनिज की रॉयल्टी वसूली 4 गुना 5 गुना की जा रही है, जबकि अनुभव अनुबंध पत्रक में राशि वसूली के अलग आदेश पर निर्धारित किया गया है।
गुजरात मप्र की तर्ज पर हो भुगतान
मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार निर्माण ठेकेदारों को एस ओ आर और बाजार मूल्य के अंतर की क्षतिपूर्ति देने का आदेश है, छत्तीसगढ़ शासन से एसोसिएशन मांग कर रहा है कि निर्माण में लगे ठेकेदारों को भी मूल्यों में अंतर की राशि देने का आदेश जारी करने का आग्रह किया है, ताकि ठेकेदारों की माली हालत में सुधार हो सके और वर्तमान में प्रदेश के ठेकेदार बाजार में उधारी और और बैंक लोन के कर्जे से डूबे हुए हैं।
राष्ट्र व राज्य निर्माण में सहयोग
राष्ट्र या राज्य निर्माण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप भागीदार ठेकेदारों के साथ लाखों मजदूर परिवार जुड़े हैं, जिनका भरण पोषण से लेकर स्वास्थ्य, शिक्षा के साथ साथ अन्य मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति की जिम्मेदारी ठेकेदार पर ही होती है।
मूल्यातंर राशि के भुगतान में आनाकानी
एक ओर जहां केन्द्र और राज्य सरकार अपने अधिकारियों व कर्मचारियों को बढ़ी हुई महंगाई भत्ता दे रही है वह भी पिछली तारीखों से एरियस भी दे रही है, इन परिस्थितियों में राज्य सरकार पुराने एसओआर के साथ निविदाएं प्रकाशित करती है और ठेकेदारों को काम्पीटिशन के लिए भी प्रोत्साहित करती है, किन्तु जब मूल्य राशि में अंतर की मांग आती है तब अपनी आंख कान बंद कर लेती है, मिली जानकारी के मुताबिक एस्केलेशन नियमों में बदलाव कर ठकेदारों के साथ अन्यायपूर्ण रवैया भी अपनायी गयी है।