भिलाई [न्यूज़ टी 20]। दुर्ग पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो जीडी आरक्षक की भर्ती प्रक्रिया के दौरान अलग-अलग स्टेज पर अलग-अलग युवकों को खड़ा कर फर्जीवाड़ा करता था। इसके लिए अभ्यर्थी से पांच लाख रुपए लेते थे और आरक्षक की नौकरी पक्की करने का भरोसा दिलाते थे।
बुधवार को सीआईएसएफ थर्ड रेसिडेंस उतई में बायोमेट्र्रिक टेस्ट के दौरान ऐसे 6 युवक पकड़ाए। सभी को उतई पुलिस के हवाले किया गया। बताया जा रहा है कि इनका सरगना भी है जिसकी तलाश की जा रही है। दुर्ग पुलिस ने इससे पहले 2019 में ऐसे ही 35 फर्जी अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया था।
दुर्ग एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने गुरुवार को इस मामले का खुलासा किया। इस दौरान एएसपी ग्रामीण अनंत साहू, एसडीओपी पाटन देवांश सिंह, उतई थाना प्रभारी नवी मोनिका पांडे भी मौजूद रहे।
दरअसल 18 मई को उतई स्थित सीआईएसएफ के थर्ड प्रेसिडेंट में अभ्यर्थियों का बायोमेट्रिक टेस्ट किया जा रहा था इस दौरान एक युवक के फिंगरप्रिंट आरआरसी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा भेजे गए प्रिंट में फोटो से मेल नहीं कर रहे थे।
इसके बाद इस अभ्यर्थी से पूछताछ की गई तो फर्जीवाड़ा बाहर आया। यह सिलसिला यहीं नहीं रुका इसके बाद एक एक कर पांच और युवक ऐसे ही फर्जी निकले।
उतई पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर सभी को फर्जी अभ्यर्थियों को पुलिस के हवाले किया गया। इसके बाद पुलिस हिरासत में फर्जी अभ्यर्थियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए।
पूछताछ में बड़ा खुलासा
आरोपियों से एक दुर्गेश सिंह तोमर निवासी मुरैना मध्य प्रदेश बताया आरोपी ने पुलिस को बताया कि सीआईएसफ में भर्ती कराने के लिए एक-एक युवक से 5 लाख रुपए लेते हैं।
इसके बाद फर्जी दस्तावेज तैयार कर परीक्षा के अलग-अलग कैटेगरी में अलग-अलग युवाओं को भेजते थे। आरोपियों के पास से फर्जी आधार कार्ड व फर्जी निवासी प्रमाण पत्र भी बरामद किया गया।
बना रखा था छत्तीसगढ़ का निवासी
आरोपियों ने ने छत्तीसगढ़ का स्थाई निवासी प्रमाण पत्र बनवा रखा था और यहां का आधार कार्ड भी बनवा रखा था।
इस मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी दुर्गेश सिंह तोमर शहीद आगरा निवासी चंद्रशेखर श्यामवीर सिंह महेंद्र सिंह अजीत सिंह व हरिओम को गिरफ्तार किया गया है। सभी के खिलाफ धारा 419 420 467 468 120 बी के तहत अपराध दर्ज कर कार्रवाई की गई है।