दुर्ग /[न्यूज़ टी 20] राजेश श्रीवास्तव जिला न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एववं निर्देशन में जागरूकता अभियान के माध्यम से श्रीमती मधु तिवारी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं श्रीमती नीरू सिंह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा बताया गया कि जमीन खरीदते वक्त ध्यान रखने वाली सबसे अहम बात  है कि उसके मालिकाना हक की जांच जरूर करें ।

इसका मतलब है कि  यह मालूम होना चाहिए कि जो शख्स जमीन बेच रहा है, वही संपत्ति का असली मालिक है और उसके पास ही सारे अधिकार हैं। कोई भी संपत्ति खरीदने से पहले  स्थानीय अखबारों (खासतौर पर अंग्रेजी या स्थानीय भाषा) में खरीदी जाने वाली प्रस्तावित भूमि पर किसी भी दावे को आमंत्रित करने के लिए पब्लिक नोटिस देना चाहिए।  

इससे  पता चल जाएगा कि जमीन पर किसी तीसरे पक्ष के अधिकार तो नहीं हैं। जमीन खरीदने से पहले, खरीदार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संपत्ति कर  का भुगतान हस्तांतरण की तारीख तक किया जा चुका है और वेरिफिकेशन के लिए इस तरह के भुगतान के लिए मूल रसीदें तैयार हैं।

यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि मालिक के नाम पर खाता (मालिक के नाम को दर्शाती रेवेन्यू रिकॉर्डिंग) उपलब्ध है। खरीदारों को सलाह दी जाती है कि वे अपने नाम पर रजिस्ट्रेशन करने से पहले जमीन को माप लें। यह सुनिश्चित करने के लिए कि जमीन के टुकड़े की माप और उसकी सीमाएं सही हैं, खरीदार को किसी मान्यता प्राप्त सर्वेक्षणकर्ता की मदद लेनी चाहिए।

संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। माननीय सर्वाेच्च न्यायालय ने एक बार फिर कहा है कि दाखिल खारिज में नाम होने से  ना तो ये साबित होता है कि आप ही जमीन के मालिक हैं और ना ही इस से आपका हक खत्म होता है।

‘‘केवल रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने से किसी व्यक्ति को संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिल जाता है। केवल इस बुनियाद पर कि उसका नाम रिकॉर्ड में मौजूद है ये तय नहीं किया जा सकता।

रेवेन्यू रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने के पीछे मुख्य कारण वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करना है, जिनमें भू-राजस्व का भुगतान शामिल है।

केवल इस एंट्री को मालिकाना हक का आधार नहीं माना जा सकता । कोर्ट ने कहा कि, संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर किसी भी तरह का विवाद पैदा होने की सूरत में दावा करने वाले सभी पक्षों को व्यवहार न्यायालय में जाना होगा।

जब कोई पक्षकार वसियत के आधार पर दाखिल खारिज में नाम दर्ज कराने की मांग करता है तो उसे वसियत को लेकर इस अधिकार क्षेत्र से संबंधित में जाना होगा ।

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