गोबर के बाद अब गौमूत्र भी खरीदेगी छ ग सरकार , शुरुआत हरेली तिहार से , भूपेश सरकार का एक और धमाका, कम से कम 4 रु लीटर रखी गई है कीमत…
बी डी निज़ामी भिलाई
भिलाई /रायपुर ( न्यूज़ टी 20)। दो साल पहले छत्तीसगढ़ गौधन योजना के तहत गोबर खरीदने के फैसले से पूरे देश को चौंकाने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अब गोमूत्र खरीदने का निर्णय लेकर एक बार फिर लोगों को चौंका दिया है ।
विदित हो कि अपने पहले ही कार्यकाल में 2020 के हरेली तिहार के दिन से ही से भूपेश सरकार ₹2 किलो के भाव से गोबर की खरीदी कर रही है, जिसका लाभ ग्रामीण क्षेत्र की जनता को सीधे तौर पर मिल रहा है ।
अब छत्तीसगढ़ सरकार ₹4 प्रति लीटर की दर से गोमूत्र भी खरीदने जा रही है। इसकी शुरुआत 28 जुलाई यानी “हरेली तिहार” से करने जा रही हैं ।
छत्तीसगढ़ मॉडल को देश का मॉडल मानने वाले सभी लोग राज्य सरकार के इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं । लोगों को उम्मीद है कि गोबर के बाद अब गौ मूत्र की खरीदी से भी छत्तीसगढ़ की अलग पहचान बनेगी ।
28 जुलाई को राज्य के गौठानों से गौमूत्र खरीदने का काम शुरू हो जाएगा । इस संदर्भ में प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं । प्रथम चरण में प्रत्येक जिले के दो चयनित स्वावलंबी गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी की जाएगी। गौठान प्रबंध समिति पशुपालक से गौ-मूत्र क्रय करने हेतु स्थानीय स्तर पर दर निर्धारित कर सकेगी। कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा राज्य में गौ-मूत्र क्रय के लिए न्यूनतम राशि 4 रूपए प्रति लीटर प्रस्तावित की गई है। क्रय गौ-मूत्र से महिला स्व-सहायता समूह की मदद से जीवामृत एवं कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे। चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. अय्याज तम्बोली ने सभी कलेक्टरों को गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि गौ-मूत्र का क्रय गौठान प्रबंधन समिति स्वयं के बैंक खातों में उपलब्ध गोधन न्याय योजना अंतर्गत प्राप्तियां, चक्रीय निधि ब्याज की राशि से करेगी। उन्होंने कलेक्टरों को अपने-अपने जिले के दो स्वावलंबी गौठानों, स्व-सहायता समूह का चयन करने, गौठान प्रबंध समिति तथा स्व-सहायता समूह के सदस्यों को प्रशिक्षण देने के साथ ही गौ-मूत्र परीक्षण संबंधी किट एवं उत्पाद भण्डारण हेतु आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है। कलेक्टरों को चयनित गौठान एवं स्व-सहायता समूह की सूची ई-मेल [email protected] पर शीघ्र उपलब्ध कराने को कहा गया है।
गौरतलब है कि दो साल पहले 20 जुलाई 2020 को राज्य में हरेली पर्व के दिन से ही गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी की शुरूआत हुई थी। गोबर से गौठानों में अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट, सुपर प्लस कम्पोस्ट महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित किए जा चुके हैं, जिसके चलते राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। गौ-मूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी। इसी को ध्यान में रखकर राज्य में गौ-मूत्र की खरीदी शुरू की जा रही है। इससे पशुपालकों को गौ-मूत्र बेचने से जहां एक ओर अतिरिक्त आय होगी, वहीं दूसरी ओर महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से जीवामृत, गौ-मूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाने से समूहों को रोजगार और आय का एक और जरिया मिलेगा। जीवामृत और गौ-मूत्र की कीट नियंत्रक उत्पाद का उपयोग किसान भाई रासायनिक कीटनाशक के बदले कर सकेंगे, जिससे कृषि में कास्ट लागत कम होगी। खाद्यान्न की विषाक्तता में कमी आएगी। गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीण अंचल में बेहद लोकप्रिय योजना साबित हुई है। इस योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों से लगभग दो सालों में 150 करोड़ से अधिक की गोबर खरीदी की गई है, जिसका सीधा फायदा ग्रामीण पशुपालकों को मिला है। क्रय गोबर से वर्मी खाद का निर्माण एवं विक्रय से महिला स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को 143 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है।