भिलाई [न्यूज़ टी 20] आप यदि खेती करते हैं तो जानते होंगे कि खेती-बारी में ढेरों समस्याएं आती है। कभी फसल की पत्ती सूखनी शुरू हो जाती है तो कभी फल में कीड़े लग जाते हैं। अभी तक किसान इसके निदान के लिए कस्बे के कीटनाशी बेचने वाले दुकानदारों पर आश्रित होते हैं।

उन्हें अब इसका विशेषज्ञों से समाधान महज 15 मिनट में मिलेगा। बस, करना यह होगा कि किसान इन समस्याओं का फोटो खींचें। इसे एग्रीटेक ऐप पर डालें। और कुछ ही मिनट में आ जाएगा जवाब।

क्या है एग्रीटेक ऐप

एग्रीटेक ऐप की जानकारी या इसकी विशेषताएं जानने से पहले यह जान लें कि इसे किन्होंने बनाया है। इसे IIT खड़गपुर के पूर्व छात्र आशीष मिश्रा और सिद्धांत भोमिया की कंपनी कृषि नेटवर्क ने बनाया है।

एग्रीटेक ऐप का लक्ष्य किसानों की समस्याओं को दूर करना और उन्हें समाधान उपलब्ध कराना है। ताकि वह खेती करके अधिक से अधिक लाभ ले सकें।

कैसे मिलता है सपोर्ट

कृषि नेटवर्क के को-फाउंडर एवं सीईओ आशीष मिश्रा बताते हैं कि उनकी कंपनी किसानों को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से सपोर्ट देती है। कोई किसान यदि ऐप पर अपना सवाल पूछते हैं तो उन्हें उसी फसल उगाने वाले अनुभवी किसानों से 15 मिनट में जवाब मिल जाता है।

खेत में क्या फसल उगाएं, इसके लिए बीज-खाद कहां से मिलेगा, कोई बीमारी हो गई तो उसका निदान कैसे आदि जैसे सवालों का जवाब यहां आसानी से उपलब्ध है। उनका कहना है कि इस ऐप से अभी तक 30 लाख से भी ज्यादा किसान जुड़ चुके हैं जबकि इस पर 8,000 से भी ज्यादा अनुभवी किसान लोगों की समस्याओं का समाधान सुझाते हैं।

ग्राम प्रचारकों से मिलता है ऑफलाइन सपोर्ट

ऐप से तो वही किसान मदद ले सकेंगे, जो स्मार्टफोन रखते हैं। उनके पास नेट कनेक्शन है। जिनके पास यह सुविधा नहीं है, उन्हें कृषि नेटवर्क ऑफलाइन सपोर्ट उपलब्ध कराती है। इसके लिए कंपनी ने ग्राम प्रचारक नाम से एक सपोर्ट सिस्टम तैयार किया है। इस समय करीब 4,000 गांवों में ग्राम प्रचारक तैयार हो चुके हैं।

ये ग्राम प्रचारक किसानों से जुड़ कर उनकी समस्या जानते हैं। फिर वह ऐप पर उनका समाधान मंगाते हैं फिर किसान को इस बारे में जानकारी दे दी जाती है। अब आप पूछेंगे कि ये ग्राम प्रचारक फ्री में काम करते हैं? तो इसका जवाब है कि इन्हें टास्क के आधार पर पैसे दिए जाते हैं।

किन भाषाओं में मिलती है जानकारी

इस ऐप पर फिलहाल अंग्रेजी के अलावा हिंदी, पंजाबी और मराठी भाषाओं में जानकारी मिल रही है। शीघ्र ही इस पर कुछ और भारतीय भाषाओं को जोड़ने की तैयारी चल रही है।

आशीष मिश्रा का कहना है कि अगले चरण में गुजराती, तमिल, तेलगू और कन्नड़ भाषाओं को जोड़ा जाएगा। उसके बाद मलियालम, उड़िया और बंगला भाषा भी जोड़े जाएंगे। इसके बाद असमी और उर्दू को भी शामिल किया जाएगा।

पंकज त्रिपाठी ने किया है निवेश

कृषि नेटवर्क के महत्व को देखते हुए इसमें बालीवुड के मशहूर अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने भी निवेश किया है। हालांकि उन्होंने कितना निवेश किया है, इसका खुलासा नहीं किया गया है। इसके साथ ही वह इसके ब्रांड एंबेसेडर भी बने हैं।

पंकज त्रिपाठी का इस निवेश पर कहना है कि वह भी किसान परिवार से जुड़े रहे हैं। इसलिए वह जमीनी स्तर पर भारतीय किसानों के सामने आने वाली समस्याओं से परिचित हैं। अब इन समस्याओं का आसानी से समाधान मिल रहा है, इसलिए वह इस प्लेटफार्म से जुड़ कर किसानों की मदद को तैयार हुए हैं।

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