भिलाई [न्यूज़ टी 20] क्रिकेट का खेल भी गजब है. वैसे तो इसकी परिभाषा आसान है- गेंद और बैट से खेला जाने वाला खेल, जिसे दो टीमें खेलती हैं. लेकिन इस खेल में समय-समय पर ऐसे खिलाड़ी आते हैं, जो अपने हिसाब से इसे परिभाषित करते हैं. वीरेंद्र सहवाग ऐसा ही एक नाम है.

और जब भी 29 मार्च की तारीख आती है तो सहवाग की वह बेमिसाल पारी याद आ जाती है, जिसका इंतजार भारतीय क्रिकेटप्रेमियों ने 72 साल किया. जी हां, वीरेंद्र सहवाग ने 2004 में आज ही के दिन (29 मार्च) तिहरा टेस्ट शतक लगाया था. यह किसी भी भारतीय द्वारा लगाया गया पहला तिहरा शतक था.

वीरेंद्र सहवाग ने अपना तिहरा शतक छक्का मारकर पूरा किया था. और ना जानें कितनी चीजें हैं, जो इस तिहरे शतक के दौरान पहली बार देखी-सुनी गईं. वीरेंद्र सहवाग (Virender Sehwag) को उनके प्रशंसक मुल्तान का सुल्तान भी कहते हैं. मुल्तान के सुल्तान का किस्सा भी 29 मार्च को ही शुरू हुआ था.

साल 2004 में भारत और पाकिस्तान (India vs Pakistan) के बीच 28 मार्च से मुल्तान में टेस्ट मैच खेला गया. भारत ने पहले दिन 2 विकेट पर 356 रन बनाए. इनमें 228 रन सहवाग के बल्ले से निकले थे. सहवाग पहले दिन नाबाद लौटे और इसके साथ ही भारतीय क्रिकेटप्रेमियों की तिहरे शतक की उम्मीद जाग गई.

मैच के दूसरे दिन जब खेल शुरू हुआ तो हर भारतीय क्रिकेटप्रेमी को सहवाग से तिहरे शतक की उम्मीद थी. वीरू ने निराश भी नहीं किया और मैच के दूसरे दिन लंच के थोड़ी देर बार छक्का लगाकर तिहरा शतक पूरा कर लिया.

भारत ने पहला क्रिकेट टेस्ट मैच 1932 में खेला था. तब से 28 मार्च 2004 तक भारत का कोई भी बल्लेबाज टेस्ट मैच में तिहरा शतक नहीं लगा सका था. भारत का यह इंतजार वीरेंद्र सहवाग ने पूरा किया, जिन्हें उनके करियर के शुरुआती दौर में पॉकेट डायनामाइट कहा गया था.

संयोग देखिए कि वीरेंद्र सहवाग ने जिस गेंदबाज को छक्का लगाकर तिहरा शतक पूरा किया, वह उसके करियर का आखिरी टेस्ट मैच भी साबित हुआ. वीरेंद्र सहवाग ने यह छक्का सकलेन मुश्ताक (Saqlain Mushtaq) की गेंद पर लगाया था.

सकलेन मैच के सबसे महंगे गेंदबाज साबित हुए. उन्होंने 43 ओवर में 204 रन लुटाए और सिर्फ एक विकेट ले सके. सकलेन इसके बाद कभी भी टेस्ट मैच में नहीं उतरे. यह उनके इंटरनेशनल करियर का आखिरी मैच साबित हुआ.

इसे भी संयोग ना कहें तो क्या कहें कि जिस दिन भारतीय क्रिकेट को पहला तिहरा शतक लगाने वाला बल्लेबाज मिला. उसी दिन पहली बार ऐसा हुआ कि किसी भारतीय कप्तान ने तब पारी घोषित कर दी जब एक बल्लेबाज 190 से अधिक रन बनाकर क्रीज पर मौजूद था.

कप्तान राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर का यह किस्सा उन दिनों बड़ा विवाद बना था. 194 रन पर लौटने के बाद सचिन तेंदुलकर ने नाराजगी भी जताई थी. उन्होंने अपनी किताब में भी राहुल द्रविड़ के पारी घोषित के फैसले की सोच के बारे में बताया है. यह सारा किस्सा किसी और लेख में. तब तक के लिए दीजिए विदा.

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