भिलाई /रायपुर (न्यूज़ टी 20)। ??छत्तीसगढ़ राज्य में धान के बाद अब गेंहूँ का रकबा बढ़ गया 3 साल में,,,,,,,,

छ ग में गेंहू की पैदावार का बढ़ा रकबा

‘हमर छत्तीसगढ़’ अनादि काल से “धान का कटोरा”के नाम से जाना जाता है,लेकिन बीते 3 सालों में गेंहूँ की पैदावार का रकबा कई गुना बढ़ता ही जा रहा है। इस बढोत्तरी की पृष्ठभूमि में यह बात उभर रही है कि गेंहूँ की पैदावार बढ़ाने के लिए किसानों का रुझान बदलना और भूपेश सरकार की किसानों को दी जा रही सुविधाएं और किसान-अनुकूल नीतियों को माना जा रहा है।इसे आसानी से समझने के लिए बताया जा सकता है कि बीते वर्ष 2016 से 2018 के दौरान राज्य में जहां 1 लाख हेक्टेयर में गेहूं की पैदावार हो रही थी,उसकी तुलना में वर्ष 2020-21 में 2 लाख 27 हज़ार हेक्टेयर में गेंहू की बोआई होने लगी थी जबकि इस रबी सीजन में अब तक 2 लाख 32 हज़ार हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है और लक्ष्य 2 लाख 77 हज़ार हेक्टेयर तक बोआई पहुंचाने का है।बताते है आने वाले पखवाड़े में लक्ष्य शत-प्रतिशत पूरा हो जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि हमर छत्तीसगढ़ के बेमेतरा,राजनांदगाँव,कबीरधाम,दुर्ग,धमतरी,बलरामपुर,मुंगेली,रायगढ़,जांजगीर,बिलासपुर,सूरजपुर,कांकेर,जशपुर,रायपुर,बलौदाबाज़ार,गरियाबंद,महासमुंद और कोरिया ज़िलों में गेंहूँ की बोनी अपेक्षाकृत बढ़-चढ़कर हो रही है और जल्द ही इसके अनुकूल परिणाम मिलेंगे।


??गुरु घासीदास रिज़र्व टाइगर क्षेत्र में आग का फैलाव कहीं गांवों तक ना पहुंच जाए,,,,,,,,,,

सूरजपुर टाइगर रिजर्व क्षेत्र में लगी आग

‘हमर छत्तीसगढ़’ के सूरजपुर ज़िले के दूरस्थ गांव चांदनी बिहारपुर क्षेत्र में स्थित गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बीते हफ्ते भर से आग लगी है,जिससे आसपास के 24 से ज़्यादा गांवों में बेकाबू आग के फैलाव का खतरा बढ़ गया है।गौरतलब है कि यह संरक्षित क्षेत्र भी है परंतु बेकाबू आग पर नियंत्रण के लिए जैसा प्रयास होना चाहिए,वैसा नहीं किया जा रहा है।आग की चपेट में गांवों के आने का खतरा तो बढ़ ही रहा है,वन्य प्राणियों में दहशत है और वे रिहायशी क्षेत्र की ओर बढ़ रहे हैं।बीते दिनों ग्रामीणों व चौकीदारों ने बड़ी मेहनत से वन रेंज मंडल कार्यालय को आग की चपेट में आने से बचा लिया है।बढ़ती आग से गांव के लोग भी दहशत में हैं।वन्य प्राणी भी डरकर गांव की तरफ आने लगे हैं।टायगर रिज़र्व क्षेत्र के गांवों अवन्तिकापुर,महुली चोंगा,खैरा,कसौटी, बसनरा,पासल, पेंडारी,कोल्हुआ,कछिया,रामगढ़,जुडवनिया,बैजंपाठ,खोहिर,रसौकी,पालकेवरा,उमझर,पालकेवरा,खोहिर,लुल,टेलाइपाठ,भुंडा,पाक,कुन्दरगढ़,छतरँग,मोहरसोप आग की चपेट में आकर जल रहे हैं।चारों तरफ धुआं की धुंआ का फैलाव है।ग्रामीण दहशत में हैं,जिनकी झोपड़ियां जंगलों के किनारे बनी हुई हैं।बताते है जंगल मे महुआ बीनने वालों ने पेड़ के नीचे सफाई के लिए आग लगाई थी जो बढ़कर जंगल में फैल गई।आग पास के 24 गांवों तक पँहुच गई।देखते हैं आग पर किस तरह से काबू पाया जा सकता है।


??एशिया की सबसे बड़ी खुली खदान गेवरा ने किया 44.5 मिलियन टन कोयला डिस्पैच,,,,,,,

जेवर परियोजना में बना कोयला डिस्पेच का कीर्तिमान

‘हमर छत्तीसगढ़’ में कोरबा ज़िले में एशिया की सबसे बड़ी खुली खदान गेवरा परियोजना ने रिकार्ड 44.5 मिलियन टन कोयला डिस्पैच करने का कीर्तिमान स्थापित किया है।इस उपलब्धि का कीर्तिमान ऐसे समय बना है,जब बार-बार हड़तालों का दौर और कईं तरह के प्रदर्शनों को दरकिनार करके एसईसीएल की एशिया की सबसे बड़ी खुली खदान गेवरा परियोजना के प्रबंधन ने कोयला उत्पादन व डिस्पैच में नई ऊंचाइयां क़ायम कर दिखाया है।जो गेवरा खदान का अब तक का सबसे बड़ा कोयला डिस्पैच-रिकार्ड है।बीते वित्तीय वर्ष के रिकार्ड को इस वित्तीय वर्ष के कोयला-डिस्पैच के रिकार्ड ने ध्वस्त कर दिखाया है।बताते हैं गेवरा खदान से रेल व रोड से कोयला-डिस्पैच का 44.5 मिलियन टन सबसे बड़ा आंकड़ा है,जबकि कोयला-डिस्पैच का लक्ष्य 54.10 मिलियन टन दिया गया है,जिसे पूरा करने अभी समय है और उससे पहले गेवरा खदान ने यह बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।गेवरा खदान के कर्मचारियों से लेकर श्रमिक संगठनों के सहयोग और अधिकारियों के मार्गदर्शन में श्रम व कार्य करते हुए यह उपलब्धि हासिल की है।जो कई संकटों के दौर में उपलब्धि हासिल हुई है।मौसमी दिक्कतों के साथ-साथ कोविड-19 के संक्रमणों के कारण भी उत्पादन व कोयला-डिस्पैच प्रभावित होता रहा है।इसके अलावा रेलवे ने रैक भी मांग के अनुरूप नहीं दी गई।एनटीपीसी प्रबंधन ने भी जो डिस्पैच लिया जाना था,उसमें भी कमी दर्ज़ की गई।गेवरा खदान ने इस तरह की कईं दिक्कतों का सामना करते हुए भी रिकार्ड उपलब्धि कायम की,जिसके लिए गेवरा प्रबंधन के साथ सभी बधाई के पात्र हैं।


??कोरबा ज़िले में कलेक्टर ने जन-सरोकार बढाने 200 से अधिक जांच कैम्प लगवाए,,,,,

कोरबा कलेक्टर रानू साहू

‘ हमर छत्तीसगढ़’ के कोरबा ज़िले में कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने प्रशासन के साथ जनसरोकार की दिशा में ठोस कदम बढ़ाया है।कलेक्टर ने बताया है कि जिले में 30 वर्ष से अधिकआयु के लोगों के स्वास्थ्य विशेषकर ब्लड प्रेशर(बीपी) व शुगर(मधुमेह) की फ्री(निःशुल्क) जांच के लिए 200 से अधिक कैम्प लगाए जाएंगे,जिसकी शुरुआत 30 मार्च से होने जा रही है।कैम्प में लोगों की जांच के बाद समस्या की पहचान होने पर उन्हें समीप के स्वास्थ्य केंद्रों में उपचार के लिए रिफर किया जाएगा,जहां भी उन्हें निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ बीबी बोर्डे ने भी बताया है कि कैम्पों में निःशुल्क जांच के लिए पर्याप्त संख्या में बीपी मशीनें व शुगर जांच करने ग्लूकोमीटर की व्यवस्था भी कर ली गई है।कलेक्टर के मुताबिक,बीपी व शुगर की जांच शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में समान रूप से होगी,इसलिए श्रीमती रानू साहू ने 30 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों से बड़ी संख्या में बीपी व शुगर की जांच कराने की पुरजोर अपील की है।उनका यह भी कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी की वजह से लोगों को बीपी व शुगर के सामान्य लेवल की जानकारी नहीं रहती है,जिससे बीपी व शुगर की बीमारी के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है।इसलिए जांच के बाद इन बीमारियों का सुगमता से इलाज किया जा सकता है।कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने कहा है कि इन बीमारियों के खतरे से अनजान ना रहने कैम्पों में आकर ज़रूर जांच कराए व उपचार करवाऐं।उन्होंने आसपास के लोगों से भी अपील की है कि कैम्पों में लोगों को आने के लिए प्रेरित भी ज़रूर से करें।


??श्रमिक बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए अंग्रेज़ी स्कूल खोलने की तैयारी,,,,,,

‘हमर छत्तीसगढ़’ के श्रमिक बाहुल्य इलाकों में श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उनका भविष्य सुधारने के लिए “श्रम कल्याण मंडल” अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल खोलने की तैयारी कर रहा है।उक्ताशय की जानकारी देते हुए मंडल के अध्यक्ष शफी अहमद ने सदस्यों के साथ राज्य के श्रम मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया से भेंट की और उनसे विस्तार से चर्चा की।उन्होंने बताया कि इसके लिए मंडल के पास पर्याप्त धनराशि भी उपलब्ध है।शफी अहमद ने मंत्रीजी को बताया कि वर्ष 1982 में बने श्रम कानून में आज के हालात को देखते हुए बदलाव की आवश्यकता ज़ाहिर की।श्रम मंत्री डॉ डहरिया ने इस सम्बंध में मंडल से प्रस्ताव देने के लिए कहा है।


??मनरेगा मजदूरों को बढ़ी दर 204 रुपए का प्रावधान प्रभावशील,,,,,,

‘हमर छत्तीसगढ़’ के मनरेगा(महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम) मजदूरों की मजदूरी 11 रुपए बढ़ा दी गई है और अब मनरेगा मजदूरों को 204 रुपए प्रतिदिन मिलेगा और यह बढोत्तरी प्रभावशील भी हो गई है।केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022-23 से मनरेगा मजदूरी बढ़ी दर से देने का प्रावधान राजपत्र में प्रकाशन भी कर लागू कर दिया गया है।छत्तीसगढ़ में मनरेगा के अकुशल हस्त मजदूरों के लिए 204 रुपए प्रतिदिन की बढ़ी दर से बढ़ोतरी की गई है।इसे देखते हुए कहा जा सकता है कि नई मजदूरी दर से गांवों से पलायन की समस्या पर स्वतः अंकुश लग जाएगा,,,।


??विलुप्त प्रजाति की उड़न गिलहरी मिली कोरबा वन मंडल में,,,,,,,,,

उड़न गिलहरी

‘हमर छत्तीसगढ़’ के कोरबा वन मंडल में एक से बढ़कर एक वन्य प्राणियों का बसेरा है।अब इनमें विलुप्त प्रजाति की उड़न गिलहरी का भी समावेश हो गया है,जिसे वह मंडल ने सावधानी से संरक्षित(रेस्क्यू) किया है।गौरतलब है कि ये उड़न गिलहरी वन क्षेत्र से रिहायशी इलाके में पँहुच गई थी।वन विभाग के अफसरों को इसकी जानकारी मिली तब उन्होंने सावधानी से उसे संरक्षित कर उसकी जांच पड़ताल भी कराई है।

??मध्यप्रदेश में सिवनी शहर के मशहूर उस्ताद शायर अब्दुल रब ‘सदा’ फरमाते हैं,,,//”वक़्त के शाहजहां हम भी हैं,ग़ुरबत है तो क्या,,तुमको गीतों का हम हसीन ताजमहल देते हैं”,,,,//??

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *